Saturday 5 May 2012








क्या.....

क्या....कभी तुमहरा मन नही कहता......
कि मेरे इतने करीब....आओ,
कि मेरी धडकनों को....
ख़ुद में महसूस कर सको,

कि...मेरी आंखों कि हया को,
चुरा सको......

कि मेरे, तुम्हारी नजरों कि तपिश से सूखे होठो,
को गीला कर सको.....

मेरे हाथों कि हरारत को,
महसूस कर सको......

मेरे गले लग कर ,
अपनी खुशी को दुगना कर सको.....

मुझ में समाकर,
ख़ुद को पा सको.....
क्या.....सच.....तुमहरा मन नही करता........!!!!!!!

3 comments:

  1. very nice mem............
    and some lines for you.......

    Is kadar kemti to na tha mera chain-o- sakon
    Loot kar le gaye wo kisi anmol khazane ki tarah

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  2. This comment has been removed by the author.

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  3. Waah...Waah...bahut khoobsurat...:-)
    Thnxxx...Ekant....:-)

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