तुम्हे पता है...
दमकता चेहरा...कजरारी आँखें...
तुम्हे पता है....
तुम कितनी....खूबसूरत...हो...!!!
वो हंसी...वो खिलखिलाहट...
तुम्हे पता है...
फूल ही फूल....खिल उठते हैं...जब तुम हंसती हो...!
चंचल नयन....दिल चोर चितवन...
तुम्हे पता है...
बस खो ही जाता हूँ...उन तूफानी...उफनती...नदी में...!
तुम्हारी बातें...चंचल घातें...
तुम्हे पता है...
कैसे गिर-गिर के...संभालता हूँ...मैं...!
माथे पे बिखरी...लटें...
तुम्हे पता है...
अपने हाथो...से सवारना चाहता हूँ...इन्हें...!
संगेमरमरी जिस्म...
तुम्हे पता है...
तुम्हे छू के...महसूस करना...चाहता हूँ....मैं...!
उफ़...ये दिलकश सरापा...
तुम्हे पता है...
इस नज़ारे...को हमेशा के लिए...दिल में बसा लेना चाहता हूँ....मैं...!
ये ...हर बात से...अनजान तेरी आखें...
ये कुछ...और ही कहते तुम्हारे लब...
जाने क्या...समझती और...जाने क्या कहती...तुम....???
तुम्हे पता है...
मुझे पता है...
की...तुम्हे सब कुछ पता है...
जो मैं सोचता हूँ...जो मैं महसूस करता हूँ...
तुम्हारे लिए...!!
तुम्हे पता है...ना....!!!!!
Dr Udeeta Tyagi
Dr Udeeta Tyagi