एक ताज़गी मिली, तुम से मिल कर.....
ज़िन्दगी जो बेपरवाह... कट रही थी,
एक ख़वाहिश मिली, तुम से मिल कर.....
एक बेबसी...बेकरारी...जो ज़हन में बस गई थी,
उस से निज़ात मिली, तुम से मिल कर.....
रातो की बेकली,जो रूह को परेशां करती थी,
रूह को सुकून की सौगात मिली, तुमसे मिल कर....
इन बेचैनियों की इन्तहा ये थी, की जीना था मुश्किल, मौत थी आसान,
ज़ीस्त को बचाया...इस दोज़ख से, तुम से मिल कर....
और ...क्या कहू....इस से ज्यादा............
मैंने ख़ुद को पाया है....तुम से मिल कर .....!!!!!!!!!!
Dr Udita Tyagi
हर पल.....
क्या हकीक़त है....
और...क्या कहानी है....
तेरे तस्सुव्वुर में खोया हूँ....हर पल...
आती सांस में याद है....जाती में जुदाई....
यादों में जीता हूँ....जुदाई में मरता हूँ......
हर सांस में....जीता-मरता हूँ.... हर पल...
ना तुझे कभी देखा है.... और ना ही सुना है....
पर तुझे....महसूस करता हूँ....हर पल...
कभी तू मेरे....इतने करीब होती है की....
तू मुझे बाहों में भर लेगी...ऐसा लगता है... हर पल...
क्या लड़कपन है....क्या जवानी है....
बस तू ही मेरे सपनो की रानी है...
मेरे दिल में तू धड़कती है....हर पल.....
तू कैसी होगी....कैसी लगती होगी...
कैसे हंसती होगी....कैसे बोलती होगी...
बस....ये ही सोचता रहता हूँ.... हर पल.....
खिचता हूँ....मुड़ता हूँ....झुकता हूँ...
तेरी ओर....हर पल.....!!!!!!!
Dr Udita Tyagi