तेरे इश्क में....
नंगे पावं ज्यूँ....तपती ज़मी पे जल जाते हैं....
हम तेरे इश्क में....गिरते हैं...संभल जाते हैं....
तू गुज़रा हुआ कल है....जो कभी लौट के ना आएगा....
फिर क्यों तेरी यादो के बादल...मेरे आज को भिगो जाते हैं....
मुड कर न देखा एक नज़र....हाल भी पूछा ना कभी....
कभी सोचा की तुझ से बिछड़ कर हम कहाँ जाते हैं....
तू आज भी मेरे ज़हन में इस तरह ताजा है....
जैसे बिना सांस के जिस्म....बर्फ में सहेजे जाते हैं....
Dr Udeeta Tyagi
Dr Udeeta Tyagi
बहुत ही उम्दा....|
ReplyDeleteशुभकामनाएं!
bahut khoob
ReplyDelete