आओ चलें.....
आओ चलें...
क्षितिज के उस पार..
जहाँ है तुम्हारी आकंशाओ का संसार...
आओ चलें...
रास्ता है कठिन...और लम्बा बहुत है...
पर अगर दिशा है पता..की जाना किधर है...
तो मुश्किल ज़रूर है....पर नामुनकिन नहीं...
आओ चलें...
क्षितिज के उस पार..
खुद को जानो...पहचानो खुद को...
जाना तुम्हे अकेले है...क्योकि सपने तुम्हारे हैं...
जिन्हें सच करके...जीना तुम्हे हैं...
आओ चलें...
क्षितिज के उस पार..
दिल में डर क्यों है...
उस पर...जिसे तुमने चुना है...
रखो खुद पे विशवास...और...
सुनो...अपने दिल की आवाज़...
आओ चलें...
क्षितिज के उस पार..
फैला..दो अपनी..बाहें...सारा जहाँ...तुम्हारा है...
ज़मीन तुम्हारी है...आसमान तुम्हारा है...
कल्पनाओ के बंधे...पर खोल दो...
और उड़ जाओ...
पार कर लो...इस क्षितिज को...
जी लो...अपने हर सपने को....
तुम अकेले नहीं...साथ हमारा है...
आओ चलें...
क्षितिज के उस पार..
जहाँ है तुम्हारी आकंशाओ का संसार...
आओ चलें...
Dr Udita Tyagi
hello
ReplyDeletei like to much i am your big fan
ReplyDeleteplease send me rqst at facebook id
ReplyDeletemadam this my rqst
really wonderful...
ReplyDeleteGOOD MORNING JI
ReplyDeletebahut acchi kavita jaisi apki soch wase apke shabd :)
ReplyDeleteexcillent
ReplyDelete